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17.11.2015

मॉस्को से 160 किमी की दूरी पर बसे शहर कलुगा के पास स्थित सांस्कृतिक और शैक्षिक पार्क ‘एत्नोमीर’ में 14 नवंबर 2015 को भारत के सांस्कृतिक केंद्र का उद्घाटन किया गया।

यह समारोह संयुक्त विश्व संस्कृति वार्ता फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था। 

14 नवंबर के दिन भारत में बाल दिवस मनाया जाता है| इस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था, जिनका यह मानना था कि बच्चे ही देश का भविष्य होते हैं|
इस साल 14 नवंबर को अंधकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीकात्मक रोशनी के त्योहार दीवाली-सप्ताह का समापन भी था| इस उपलक्ष्य पर भारतीय संस्कृति केंद्र के उद्घाटन के साथ-साथ भारतीय विचारक, धार्मिक सुधारक एवं उन्नीसवीं सदी की महान भारतीय हस्ती स्वामी विवेकानंद के स्मारक का भी उद्घाटन किया गया।



इस उत्सव में भाग लेने के लिए मॉस्को के उच्च शिक्षा संस्थानों के छात्र और शिक्षक, सार्वजनिक संगठनों के प्रतिनिधि, रूसी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे भारतीय छात्र तथा निकट स्थित शहर तरुसा के भारतीय क्लब के सदस्य आदि आये| ‘एत्नोमीरके मुख्य मार्ग शान्ति मार्गपर मेहमानों का अभिनन्दन भारतीय नृत्य मंडली प्रेम लीलाकर रही थी| हाथों में रंगीन गुब्बारे लिए मेहमानों का जुलूस जन मैत्री चौक से भारतीय सांस्कृतिक केंद्र तक चला| यह सांस्कृतिक केंद्र एत्नोआँगनदक्षिण एशिया में स्थित है, जहां नेपाल और श्रीलंका पहले से ही अपनी अनूठी संस्कृतियों को प्रस्तुत कर रहे हैं|

समारोह पर रूस में भारत के राजदूत श्री पी०एस० राघवन, कलुगा क्षेत्र के उप-गवर्नर रुसलान स्मलेंस्की, बांग्लादेश और नेपाल के राजदूतों एवं सांस्कृतिक और शैक्षिक परिसर एत्नोमीरके संस्थापक रुसलान बैरामोव ने स्वागत भाषण दिए|

समारोह के दौरान रूसी मूर्तिकार अलेक्सई लेओनोव द्वारा बनाए गए स्वामी विवेकानंद स्मारक का भी उद्घाटन किया गया| यह एक ज्ञात तथ्य है कि विवेकानंद की रामकृष्ण को समर्पित रचनाओं तथा अन्य रचनाओं के प्रति महान रूसी लेखक लेव टॉल्स्टॉय भी बहुत रूचि रखते थे|



भारतीय परंपरा के अनुसार सम्मानित अतिथियों ने मुख्य द्वार पर दीप जलाया तथा लाल रिबन काट कर समारोह का उदघाटन किया तथा उसके बाद सबने भारतीय सांस्कृतिक केंद्र में प्रवेश किया| भारतीय सांस्कृतिक केंद्र मुगल शैली में बनी एक सुंदर पांच मंजिला इमारत है| इस इमारत में इस्लामी और भारतीय वास्तुकला का एक संलयन है और यह फतेहपुर सीकरी की वास्तुकला के साथ समानता रखती है।

भारतीय सांस्कृतिक केंद्र की विभिन्न मंजिलों पर भारत के सभी 29 राज्यों के मूर्तिकला, शिल्प कला आदि के नमूने प्रस्तुत हैं| सांस्कृतिक केंद्र के एक हिस्से में भारतीय दूतावास के सांस्कृतिक केंद्र के छात्रों ने गुलफाम साबरी के नेतृत्व में मेहमानों के मनोरंजन के लिए गायन संगीत का एक कार्यक्रम पेश किया|  

समारोह का समापन चौक के केंद्र में श्री यंत्रकी तस्वीर वाले फव्वारे के पास रंगोली की ज्वाला प्रज्जवलित करके किया गया| श्री यंत्र को अंतरिक्ष का एक रहस्यमय यंत्र माना जाता है|

समारोह के सभी मेहमानों की यह एकमत राय थी कि अब भारत की वास्तुकला, कला, पारंपरिक शिल्प कला आदि से परिचय एत्नोमीरमें यानी रूसी धरती पर ही प्राप्त किया जा सकेगा| सांस्कृतिक केंद्र के पास ही एक छोटा होटल "भारत" तथा एक भारतीय कैफे "भारतीय आत्मा" खोले गए हैं|



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